नवरात्र को मां दुर्गा का पर्व कहा जाता है। साल में दो बार नवरात्र मनाया जाता है, चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। इस दौरान घर घर नौ दिनों तक मातारानी की विधि विधान से पूजा की जाती है। माना जाता है कि नवरात्र पर माता रानी की सच्चे मन से पूजा की जाए तो मुश्किल से मुश्किल काम भी बन जाते हैं। जानिए क्या है नवरात्र का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व।
ये है धार्मिक मान्यता:
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक शारदीय नवरात्रों में जिस तरह पूरे अनुष्ठान के साथ मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है ठीक वैसे ही चैत्र नवरात्रों में भी होती है। मान्यता है कि महिषासुर ने कठोर तपस्या करके देवताओं से अजेय होने का वरदान ले लिया था। इसके बाद महिषासुर ने अपनी शक्तियों का गलत उपयोग किया और देवताओं को भी परेशान करना शुरू कर दिया। इससे क्रोधित होकर देवताओं ने दुर्गा मां की रचना की और उन्हें तमाम अस्त्र शस्त्र दिए। इसके बाद शक्ति स्वरूप मां दुर्गा का महिषासुर से नौ दिनों तक संग्राम छिड़ा और आखिरकार महिषासुर का वध हुआ। इसलिए नवरात्र में मातारानी के शक्तिस्वरूप की पूजा होती है और नौवें दिन नौ कन्याओं को मां का रूप मानकर पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान राम ने भी रावण को मारने के लिए नौ दिनों तक माता का व्रत व पूजन किया था और दसवें दिन रावण का वध किया था। तभी से दशहरा से पहले नौ दिनों को माता को समर्पित कर शारदीय नवरात्र के रूप में मनाया जाता है।
ये है वैज्ञानिक कारण:
यदि इस पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो दोनों नवरात्र ऋतु संधिकाल में आते हैं यानी जब दो ऋतुओं का समागम होता है। उस दौरान शरीर में वात, पित्त, कफ का समायोजन घट बढ़ जाता है। रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो जाता है। ऐसे में इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए नौ दिन माता के पूजन व व्रत करके अनुशासनयुक्त जीवन जीने से शरीर की साफ सफाई होती है। ध्यान से मन की शुद्धि होती है और हवन से वातावरण शुद्ध होता है और हमारी इम्यूनिटी बढ़ती है।
सौजन्य: पत्रिका