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जो जागा अन्धेरो में उजाला उसी ने पाया है
अपनी नाकामियों को अपने काम लाया है
उठ जा उठकर बादलों की ओट से घूंघट उठा
छिप गया सीप में मोती उसे तू ढूंढला
है तमन्ना बड़ी तो शाम को सूरज दिखा
चलते हुए जो रोकले उस भीड़ से खुद को बचा
चोट देकर लहरें भी देती हैं चट्टानें हिला
मैं तो एक उम्मीद हूं मुझे तू रोशन करके दिखा
डरता अगर इंसा तो कैसे चांद तक वो पहुंचता
हौसले की आग को तू लगने ना देना धुआं
देकर हवा उस आग को अंधेरे को तू रोशनी दिखा